सेवानिवृत्त 86 वर्षीय पिता के एक बेटे की कारगिल युद्ध में शहादत, दूसरे बेटे की सरहद पर तैनाती

सिहुंता (चंबा)

शहीद खेमराज

कारगिल युद्ध में अपने एक बेटे की शहादत के बाद हिमाचल के चंबा जिले के सिहुंता के 86 वर्षीय मुंशी राम और 70 वर्षीय बेगमा देवी ने अपने दूसरे बेटे को भी देश की रक्षा के लिए सरहद पर भेज दिया। मुंशी राम खुद भी सेना में देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। हालांकि, एक बेटे की शहादत के बाद यह कदम उनके लिए आसान नहीं था। वर्तमान में पंकज ठाकुर पंजाब रेजिमेंट में सिपाही पद पर सेवाएं दे रहे हैं। इनकी तैनाती श्रीनगर में प्रतिनियुक्ति पर हुई है। पाकिस्तान के साथ हुए वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में शहादत पाने वालों में ग्राम पंचायत के गांव गोला निवासी सिपाही खेमराज ने शहादत पाई थी।

खेमराज की शहादत के बाद उनके मां-बाप पर दुखों का टूट पड़ा। लेकिन दूसरे बेटे में भी देश की सेवा करने का जज्बा बचपन से ही आंखों में पल रहा था। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल गोला में 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद पंकज ठाकुर ने सेना की खुली भर्ती में भाग्य आजमाया और वह भर्ती हो गए। पंकज ठाकुर को ड्यूटी के बाद जैसे समय लगता है, वे अपने माता-पिता से रोजाना फोन के जरिये बात कर उनका कुशलक्षेम पूछते हैं।  शहीद सिपाही खेमराज के परिवार के साथ किए गए वायदों को सरकार ने पूरा कर दिया है। शहीद खेमराज की बड़ी बहन को सरकारी स्कूल में क्लर्क की नौकरी मिली है। पैतृक गांव गोला में घर से ही कुछ दूरी पर उनका मंदिर बनाया गया। द्रम्मण से गोला तक सड़क बनाई गई है। घर के लिए पक्के रास्ते का भी निर्माण करवाया गया है।

 

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